Shirdi To Shani Shingnapur Distance: हमारे हिन्दू धर्म में किसी धार्मिक यात्रा पर निकलना बहुत शुभ माना जाता है और इस प्रकार की यात्रा से हमारे मन में एक नई ऊर्जा का संचार होता है। हमारे या आपके जीवन में एक धार्मिक यात्रा का आरंभ करना सुख शांति का संकेत माना जाता है। और कही ना कही धार्मिक यात्राओं से हमारे धर्म और संस्कृति को और गहराई से जानने का मौका मिलता है। इन सब चीजों के साथ मन में यह भी विचार आता है की कौन सी प्रमुख धार्मिक यात्रा का चुनाव हमें करना चाहिए? हमारे धर्म में शनि भगवान् को उच्च स्थान का देवता माना जाता है।
तो आज की इस लेख में हम shirdi to shani shingnapur distance शिरडी से शनि शिंगणापुर के यात्रा के बारे में हम आपको विस्तार से बताएँगे ताकि अगर आप shirdi to shani shingnapur distance का सफर तय कर रहे है तो आपको उन प्रमुख बातो को जानना जरुरी है, जो आपके लिए आवश्यक है और इस यात्रा को अच्छे से पूरा करने के लिए आपका सभी मुख्य बातो को बारीकी से जानना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम shirdi to shani shingnapur distance क्या महत्वपूर्ण है उसके बारे में विस्तार से बताएँगे और हम उन धार्मिक ख़ूबसूरती की खोज करेंगे जो शिरडी और शनि शिंगणापुर को जोड़ती है।
Shirdi To Shani Shingnapur Distance: शिरडी की धार्मिक यात्रा:
हमारा सफर शिरडी के साई बाबा का दर्शन करने से शुरू होता है। जो पूज्य संत साई बाबा के साथ जुड़ा हुआ शहर है। अहमदनगर जिले में स्थित शिरडी साई बाबा का ऐसा स्थान है जो लाखो लोगो को एकसाथा मिलाता है, साईं बाबा का ऐसा आशीर्वाद है जो भारत के विभिन्न शहरो से लोग उनके दर्शन करने आते है।
यह एक ऐसा स्थान है जो लोगो के मन में अपार शांति को प्रदान करता है शिरडी का शांति भरा वातावरण, और जिसमें पवित्र मंदिरों और शांतिपूर्ण आस-पास के माहौल का लुफ्त हमें प्रदान करता है। सिरडी के साई बाबा का ऐसा धार्मिक स्थल है जिसका लुफ्त उठाने के बाद मन प्रफुल्लित हो जाता है साथ ही धार्मिक शिक्षा भी प्रदान करता है।
शिरडी साई बाबा मंदिर से लेकर शांतिपूर्ण दीक्षित वाडा म्यूजियम तक, यह शहर एक ऐसा प्राचीन स्थान है जो धार्मिक खजाने का भंडार है। यहाँ के पूजा अर्चना में भाग लेना, प्रार्थना सत्रों में शामिल होना और शिरडी के हर कोने में छिपे धार्मिक स्थानों का दर्शन करना यहाँ की प्रमुख विशेषता है।
Shirdi To Shani Shingnapur Distance: यात्रा की शुरुआत:
shirdi to shani shingnapur distance की बात करे तो शिरडी से शनि शिंगणापुर की कुल दूरी लगभग 75 किलोमीटर है, इस यात्रा को पूरा करने के लिए आप महाराष्ट्र सरकार द्वारा कई बेस्ट बसों का भी सञ्चालन किया जाता है। अगर आप बस में यात्रा करेंगे तो shirdi to shani shingnapur distance लगभग दो से ढाई घंटे में पूर्ण हो जायेगा।
और अगर आप अधिक सुविधा चाहते है तो आपको टैक्सी किराये कर लेनी चाहिए जिसका किराया 1500 से 2000 के बिच एक तरफ के किराये के रूप में मिल जायेगा। साथ ही यात्री शिरडी का दौरा करने वाले लोगों के लिए एक सुविधाजनक और धार्मिक अनुभव का एहसास करता है। इन दो पवित्र स्थानों के बीच का सफर न केवल भक्तों को भौतिक रूप से जोड़ता है बल्कि यह एक मन को मोह लेने वाला और एक अद्भुत तीर्थयात्रा का कारण भी है। यह एक ऐसा अद्भुत स्थान है जो यात्रा करने बाद भी इसकी सुंदरता हमारे मन में बस जाता है।
Shirdi To Shani Shingnapur Distance: इस यात्रा के दौरान आने वाले आकर्षण:
shirdi to shani shingnapur distance में हम आकर्षण और सुंदरता की बात करे तो जब भक्त शिरडी से शनि शिंगणापुर की ओर बढ़ते हैं, महाराष्ट्र का ग्रामीण जीवन के बारे में हमें जानने का मौका मिलता है। अगर आप गर्मी के दिनों में यात्रा कर रहे है तो यहाँ पर सड़क के किनारे जगह जगह पर गन्ने के रस का आनंद जरूर मिलेगा जोकि हाथ से बनाई हुई लकड़ी के कोल्हू में बैलो द्वारा उन्हें घुमा घुमा कर पेरा जाता है.
जोकि बहार से आने वाले यात्रियों के लिए यह अद्भुत और आकर्षण का प्रमुख केंद्र रहता है। रस्ते में आपको कई धार्मिक स्थान है लेकिन shirdi to shani shingnapur distance के बिच शिरडी और शनि शिंगांपुर को प्रमुख धार्मिक स्थल माना जाता है।
shirdi to shani shingnapur distance को पूरा करने के दौरान कई अद्भुत स्थान है जहा पर यात्रियों का रुकना महत्वपूर्ण माना जाता है, जोकि रांजगांव में स्थित महा गणपति मंदिर से सुरुवात होता है। इस प्राचीन मंदिर में भगवान गणेश को समर्पित किया गया है और यह आठ श्रृंगार मंदिरों का सेट है, जो महाराष्ट्र में फैले हैं।
भक्त अक्सर गणेश भगवान की कृपा की प्राप्ति करने के लिए कुछ घंटो के लिए यहाँ रुकते हैं, और फिर आगे अपने शनि शिंगणापुर की यात्रा को जारी रखते हैं।
शनि शिंगणापुर
shirdi to shani shingnapur distance की यात्रा को पूर्ण करने के बाद हम पहुंचते है भगवन शनिदेव की नगरी शनि शिंगणापुर जोकि अति प्रचीन गांव माना जाता है। हिन्दू धर्म में शनिदेव के प्रकोप से बचने के लिए लाखो श्रद्धालु यहाँ पूजन अर्चन करने आते है और शास्त्र विधि के अनुसार पूजा पाठ करवाते है जिसका लाभ शनिदेव के प्रकोप से बचने के लिए किया जाता है।
Shirdi To Shani Shingnapur Distance: शनि शिंगणापुर के रोचक रहस्य
गांव में कभी नहीं हुई चोरी
शनि शिंगणापुर भारत ही नहीं विश्व का एकमात्र ऐसा गांव है जहा आजतक चोरी नहीं हुई। एक ऐसा अध्भुत गांव है जहा हजारो घर मकान है लेकिन इस गांव में किसी भी घर में कोई भी दरवाजा नहीं लगा हुआ है।
इस ऐतिहासिक और दुर्लभ कहे जाने वाले गांव के विषय में ऐसा कहा जाता है की इस गांव से जो कोई भी चोरी करके भागने की कोसिस करता है गांव के बॉर्डर पर ही शनिदेव उसके मति को भ्रस्ट कर देते है जिससे वह गांव की सिमा को नहीं पार कर पता और लोगो के बिच अपने चोरी को स्वीकार करता है और माफ़ी भी मांगता है। दोस्त है ना यह अजीब गांव ?
शनि शिंगणापुर के शनि देव को नहीं है छाया की जरुरत
भगवान् शनि का यह मात्र एक ऐसा मंदिर है जिसका कोई छत्र नहीं है यानि भगवान् शनिदेव की मूर्ति खुले आसमान में ही संगमरमर के चबूतरे पर स्थापित किया गया है। यहाँ शनिदेव हरदिन धुप छाँव सर्दी बारिश किसी भी महीने इनकी मूर्ति को छाया प्रदान नहीं किया जाता है।
शनिदेव की यह मूर्ति स्वयंभू मूर्ति है जो काले रंग का है। इस मूर्ति की लम्बाई 5 फ़ीट 9 इंच है और इस मूर्ति की चौड़ाई 1 फ़ीट 6 इंच है। और भगवान् शनिदेव को सिर्फ तेल चढ़ाया जाता है।
अमावस्या पर होता है पूजन
शनिदेव के इस दिव्य और भव्य मंदिर का यु तो हरदिन पूजन होता है लेकिन महीने में आने वाले अमावस्या के दिन यहाँ विशेष पूजन किया जाता है। यहाँ ब्राह्मणो द्वारा रुद्राभिषेक और भजन आरती किया जाता है। और हर शनिवार के दिन यहाँ विशेष पूजा किया जाता है क्योकि शनिवार भगवान् शनि का दिन माना जाता है। इस लिए इस दिन यहाँ विशेष रूप से श्रद्धालुवो की भीड़ इकट्ठी होती है।
मामा भांजा दर्शन करे तो मिलता है अधिक लाभ
इस ऐतिहासिक गांव के बारे में यह कहा जाता है की शनि शिंगणापुर में एकबार भीषण बाढ़ आया हुआ था, इस बाढ़ में सब कुछ नस्ट हो गया था, तब अचानक गांव के एक व्यक्ति ने देखा की एक पेड़ पर एक लम्बा सा काला पत्थर लटका हुआ है। उस व्यक्ति ने उस पत्थर को किसी तरह से निचे उतारता है, तब उस पत्थर को देख उस व्यक्ति के मन में यह प्रश्न उठता है की यह कोई मूल्यवान वस्तु हो सकता है।
यह सोच कर उस आदमी ने उस पत्थर को तोड़ने की कोसिस की लेकिन जैसे ही पत्थर पर चोट लगता है वैसे ही उस पत्थर में से खून निकलने लगता है। इस घटना को देख वह डर गया और गांव में जाकर सारी कहानी सुना डाली, तब गांव के कुछ लोग वहाँ पहुंचते है और उस पत्थर को उठाने की कोसिस करते है लेकिन कई लोगो ने एक साथ उठाने का प्रयास किया लेकिन वह पत्थर टस से मस नहीं हुआ।
अगले दिन गांव के किसी व्यक्ति के सपने में शनिदेव आते है और कहते है की मैं स्वयं साक्षात् शनिदेव हूँ मुझे खुले आसमान में तुमलोग स्थापित करो और हां मुझे उठाने के लिए दो लोगो की जरुरत है और वो है मामा और भांजा, ये दोनों मिलकर मुझे उठाएंगे तो मैं आसानी से उठ जाऊंगा।
भेड़ चराने वाले गडरिये को मिली मूर्ति
शनि शिंगणापुर में एक कथा प्रचलित है, जिसे कहा जाता है की यह शनिदेव की मूर्ति एक भेड़ चराने वाले गड़रिये को मिली थी, शनिदेव ने उस गडरिये से कहा था की खुले आसमान में मुझे स्थापित करो और तेल का अभिषेक करो। तभी से यह ऐतिहासित मंदिर वहा विराजमान है।
पीछे मुड़कर ना देखे
शनि शिंगणापुर में एक कथा प्रचलित है जोकि ऐसा माना जाता है की अगर इस मंदिर का कोई भक्त दर्शन करता है तो, दर्शन करने के बाद दोबारा मंदिर की तरफ नहीं देखना चाहिए। ऐसा करने से शनिदेव का दर्शन करना बेकार हो जाता है और उल्टा हमारे ऊपर शनिदेव का प्रकोप चढ़ जाता है।
निष्कर्ष:
दोस्तों आपने इस पुरे लेख में shirdi to shani shingnapur distance के बारे में जाना और शिरडी से शनि शिंगणापुर का सफर न केवल भौतिक बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा रहा है। यह एक ऐसी मन को शांत करने वाली और हर्षोउल्लास को प्रदान करने वाली यात्रा है।
जो भक्ति, श्रद्धा, और आत्म-चिंतन की धारा को जोड़ता है। इस धार्मिक यात्रा से भक्तों को आध्यात्मिक यात्रा में आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करता है। साई बाबा के उन प्रमुख बातो और उपदेशों से प्रेरणा लेते हुए हम शनिदेव की सुरक्षित यात्रा के साथ साथ हमारी आत्मा को शांति की राह पर चलने का एक अवसर प्रदान करता है।
जैसे हम Shirdi to shani shingnapur distance को पूर्ण करते हैं, हम याद रखें कि इस तीर्थयात्रा का असली सार वाहन से पूरी की गई किलोमीटरों में नहीं, बल्कि बुलाए गए प्रार्थनाओं, और रास्ते पर अनुभव किए गए आत्मविचार के क्षणों में है। इस यात्रा को आध्यात्मिक जागरूकता की दिशा में एक कदम के रूप में याद किया जाए।